September 8, 2025 | by support@rabgcontent.com

GST के नए नियम आ गए हैं। सच कहें तो 90% लोग इन महत्वपूर्ण बदलावों से अनजान हैं और बाद में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। आईये जानते GST के नए नियम
यह गाइड व्यापारियों, CA, और सभी GST करदाताओं के लिए है जो 2025 के नए नियमों को समझना चाहते हैं। GST की दुनिया तेजी से बदल रही है और अगर आप अपडेट नहीं रहेंगे तो आपका बिजनेस पीछे रह सकता है।
इस ब्लॉग में हम बात करेंगे GST के नए नियम कि दर संरचना और उसके व्यावसायिक प्रभावों की, जो सीधे आपकी जेब पर असर डालते हैं। हम इनपुट टैक्स क्रेडिट के नए नियम भी समझाएंगे जो आपकी टैक्स बचत में मदद कर सकते हैं। साथ ही GST रिटर्न फाइलिंग की अपडेटेड प्रक्रिया भी जानेंगे जो अब और भी सख्त हो गई है।
आइए जानते हैं कि 2025 में GST के नए नियम में क्या बदलाव है और कैसे आप इन बदलावों का फायदा उठा सकते हैं। GST के नए नियम से आम जनता को फायदा पोचणे वाला है.
भारत के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा जीएसटी की बैठक समाप्त हो चुकी है और इस बैठक में सरकार ने महत्वपूर्ण घोषणा की है. जिसके मुताबिक पांच प्रतिशत लेकर 18% तक का आप जीएसटी आपको देना होगा. यानी आप केवल दो ही टैक्स स्लैब होंगे इस GST के नए नियम को पूरे देश में लागू किया जाएगा. इस नियम के लागू होते हैं मिडिल क्लास और छोटे व्यापारियों को बहुत बड़ी राहत मिलने वाली है.
वित्त मंत्रालय के द्वारा जानकारी दी गई है कि 22 सितंबर नवरात्रि के दिन GST के नए नियम को पूरे देश भर में लागू किया जाएगा. GST के नए नियम को लागू होते ही कई प्रकार की चीजों के दाम सस्ते होंगे और कई प्रकार की चीजों के दाम महंगे हो जाएंगे. ऐसे में आपको बता दे कि GST के नए नियम के लागू होने का सबसे अच्छा प्रभाव मिडिल क्लास और छोटे व्यापारियों को बढ़ेगा. GST के नए नियम से बहुत बड़ी राहत मिलने वाली है. GST के नए नियम बारे में सरकार जल्दी एक प्रेस रिलीज करेगी और पूरी डिटेल जानकारी देगी कि GST के नए नियम के लागू होने के बाद किस-किस वर्ग के लोगों को विशेष तौर पर फायदा होने वाला है.

भारत में GST के आने से पहले अप्रत्यक्ष करों का ढांचा अत्यधिक जटिल और कमियों से भरा हुआ था। पुराने कर सिस्टम में VAT, उत्पाद शुल्क, और सेवा कर जैसे कई अलग-अलग कर थे, जो व्यापारियों के लिए भ्रम की स्थिति पैदा करते थे। इस जटिल ढांचे में छूट और कई दरों जैसी कमियां मौजूद थीं, जिससे कर संरचना में असंगति और अस्पष्टता बनी रहती थी।
विभिन्न केंद्रीय और राज्य शुल्कों का अस्तित्व व्यापारिक समुदाय के लिए एक बड़ी चुनौती था। केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर और VAT जैसे अलग-अलग करों की मौजूदगी से न केवल अनुपालन लागत बढ़ती थी, बल्कि कर की गणना और भुगतान भी एक दुरूह कार्य बन जाता था। इससे व्यापारियों को कई अलग-अलग कार्यालयों में जाना पड़ता था और विभिन्न प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ता था।
GST का मूल विचार प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना और करों के कैस्केडिंग (कर पर कर) को रोकना है। नई GST संरचना के तहत, हर कंपनी अपने आपूर्तिकर्ताओं द्वारा पहले से भुगतान किए गए करों पर कटौती प्राप्त करती है। यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक खरीदार यह निश्चित कर सकता है कि उसके आपूर्तिकर्ता ने अपनी कटौती का दावा करने के लिए अपना हिस्सा भुगतान किया है।
GST का लक्ष्य कर अनुपालन में सुधार करना है। यह अपनी पारदर्शी और तटस्थ तरीके से राजस्व बढ़ाने की क्षमता के कारण एक प्रभावी कराधान प्रणाली साबित हुई है। नई व्यवस्था में कर चोरी की संभावनाएं कम हो गई हैं क्योंकि इनपुट टैक्स क्रेडिट की श्रृंखला के माध्यम से सभी लेन-देन का ट्रैकिंग संभव है।
GST अपनी पारदर्शी और तटस्थ तरीके से राजस्व बढ़ाने की क्षमता के कारण 150 से अधिक देशों द्वारा अपनाया गया है। पिछले छह दशकों में कराधान में GST का प्रसार सबसे महत्वपूर्ण विकासों में से एक रहा है। सेवाओं में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि के साथ, GST एक पसंदीदा वैश्विक मानक बन गया है।
अमेरिका को छोड़कर सभी OECD देश इस कराधान संरचना का पालन करते हैं, जो GST की अंतर्राष्ट्रीय स्वीकार्यता और विश्वसनीयता को दर्शाता है। यह भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे हमारा कर सिस्टम वैश्विक मानकों के अनुरूप हो गया है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश में सुविधा मिली है।

GST की त्रिस्तरीय संरचना में तीन मुख्य प्रकार के कर शामिल हैं जो अलग-अलग परिस्थितियों में लागू होते हैं। CGST (केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर) राज्य के भीतर वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाता है। इसके साथ ही SGST (राज्य वस्तु एवं सेवा कर) भी राज्य के भीतर होने वाली आपूर्ति पर राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है।
IGST (एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर) का प्रयोग राज्यों के बीच वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है। यह व्यवस्था का चुनाव इस बात पर निर्भर करता है कि आपका व्यावसायिक लेनदेन कहाँ हो रहा है।
| कर प्रकार | लागू होने की स्थिति | प्रशासनिक प्राधिकारी |
|---|---|---|
| CGST + SGST | राज्य के भीतर लेनदेन | केंद्र + राज्य सरकार |
| IGST | अंतर-राज्यीय लेनदेन | केंद्र सरकार |
यदि आपका व्यवसाय केवल एक राज्य में संचालित होता है, तो आप CGST और SGST से निपटेंगे। इस स्थिति में दोनों कर एक साथ लगाए जाते हैं और कुल GST दर इन दोनों का योग होती है।
जब आप राज्यों में व्यापार करते हैं, तो IGST लागू होगा। केंद्र सरकार के पास आयात और अंतर-राज्यीय व्यापार पर GST लगाने की विशेष शक्ति होगी। अंतर-राज्यीय व्यापार पर वस्तुओं की आपूर्ति पर अतिरिक्त कर लगाने का प्रस्ताव है, जो 1% से अधिक नहीं होगा और दो साल की अवधि के लिए केंद्र सरकार द्वारा एकत्र किया जाएगा, और फिर उस राज्य को सौंपा जाएगा जहाँ से आपूर्ति उत्पन्न होती है।
एकीकृत कर एक “दोहरी” GST का रूप लेगा, जिसे सरकार के दोनों स्तरों द्वारा समवर्ती रूप से लगाया जाएगा। एकीकृत कर में एक केंद्रीय GST और एक राज्य GST शामिल होगा, जिसे संबंधित सरकारी स्तरों द्वारा विधायी, लगाया और प्रशासित किया जाएगा, और एक ही कर योग्य आधार दोनों GSTs के अधीन होगा।
केंद्र और राज्य संबंधित GST अधिनियमों को विधायी बनाएंगे और दोनों को करों को प्रशासित करने की शक्ति होगी। GST परिषद की स्थापना की गई है जिसमें केंद्रीय वित्त मंत्री, राजस्व या वित्त प्रभारी केंद्रीय राज्य मंत्री, और प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा नामित वित्त या कराधान प्रभारी मंत्री शामिल होंगे।
सभी प्रमुख निर्णय GST परिषद के हाथों में हो सकते हैं, जिसमें केंद्र और राज्यों दोनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे, जिससे राज्यों को अपने क्षेत्रों में कर कानूनों के कार्यान्वयन में अपनी बात रखने का अधिकार होगा।

भारत में GST की संरचना चार मुख्य दर स्लैब्स पर आधारित है, जो वस्तुओं और सेवाओं के प्रकार के अनुसार निर्धारित की गई हैं। ये दरें हैं:
| GST दर | श्रेणी |
|---|---|
| 5% | आवश्यक वस्तुएं |
| 12% | मध्यम श्रेणी के उत्पाद |
| 18% | मानक दर |
| 28% | लक्जरी सामान |
5% GST दर सबसे कम दर है जो आवश्यक वस्तुओं पर लगाई जाती है। इसमें खाद्य उत्पाद, जीवन रक्षक दवाएं और अन्य आवश्यकताओं की वस्तुएं शामिल हैं।
12% GST दर प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों, सेल फोन और परिवहन सेवाओं जैसे सामान और सेवाओं पर लगाई जाती है।
18% GST दर अधिकांश उपभोक्ता वस्तुओं और वित्तीय सेवाओं सहित अधिकांश सेवाओं और उत्पादों के लिए मानक दर है।
28% GST दर सबसे उच्च दर है जो लक्जरी सामानों के लिए निर्धारित की गई है।
GST दरों का निर्धारण वस्तुओं की प्रकृति और उपयोगिता के आधार पर किया गया है। निम्न से उच्च दरों का क्रम इस प्रकार है:
यह वर्गीकरण सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता को बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया है।
GST परिषद की भूमिका कर प्रणाली को प्रासंगिक और व्यावसायिक वास्तविकताओं के अनुरूप रखने में महत्वपूर्ण है। परिषद समय-समय पर इन दरों की समीक्षा करती है ताकि:
व्यवसायों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने सामान और सेवाओं पर लागू GST दरों की नियमित समीक्षा करें। इससे वे अपनी कर देनदारियों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं और ग्राहकों से अधिक या कम शुल्क लेने से बच सकते हैं।

GST पंजीकरण की आवश्यकता मुख्यतः आपके व्यवसाय के वार्षिक टर्नओवर पर निर्भर करती है। माल आपूर्तिकर्ताओं के लिए यह सीमा 40 लाख रुपये निर्धारित की गई है, जो भारत के अधिकांश राज्यों में लागू होती है। यह राशि एक वित्तीय वर्ष में आपकी कुल बिक्री को दर्शाती है।
वहीं दूसरी ओर, सेवा प्रदाताओं के लिए यह सीमा कम रखी गई है – केवल 20 लाख रुपये। इसका मतलब यह है कि यदि आप किसी भी प्रकार की सेवाएं प्रदान करते हैं और आपका वार्षिक टर्नओवर 20 लाख रुपये से अधिक है, तो आपको अनिवार्य रूप से GST के लिए पंजीकरण कराना होगा।
| व्यवसाय का प्रकार | अनिवार्य पंजीकरण सीमा |
|---|---|
| माल आपूर्तिकर्ता | 40 लाख रुपये |
| सेवा प्रदाता | 20 लाख रुपये |
| विशेष राज्य (माल) | 20 लाख रुपये |
| विशेष राज्य (सेवा) | 10 लाख रुपये |
पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों के लिए सरकार ने विशेष छूट प्रदान की है। इन राज्यों में माल आपूर्तिकर्ताओं के लिए पंजीकरण सीमा घटाकर 20 लाख रुपये कर दी गई है, जबकि सेवा प्रदाताओं के लिए यह सीमा मात्र 10 लाख रुपये है। यह व्यवस्था इन राज्यों के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई है।
इसके अलावा, कुछ विशेष परिस्थितियों में टर्नओवर की परवाह किए बिना GST पंजीकरण अनिवार्य हो जाता है। अंतर-राज्यीय बिक्री में शामिल व्यवसायों को चाहे उनका टर्नओवर कितना भी कम हो, GST पंजीकरण कराना होगा। इसी तरह, ई-कॉमर्स ऑपरेटरों जैसे व्यवसाय जो सरकार की ओर से कर एकत्र करते हैं, उन्हें भी अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होता है।
भले ही आपका टर्नओवर निर्धारित सीमा से कम हो, फिर भी आप स्वैच्छिक GST पंजीकरण करा सकते हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपनी खरीद पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा कर सकेंगे। यह विशेषकर उन व्यवसायों के लिए लाभदायक है जिनकी कच्चे माल या सेवाओं की खरीद अधिक होती है।
स्वैच्छिक पंजीकरण से आपके व्यवसाय की विश्वसनीयता भी बढ़ती है, क्योंकि बड़े ग्राहक आमतौर पर GST रजिस्टर्ड सप्लायरों के साथ व्यापार करना पसंद करते हैं। हालांकि, इसके साथ ही आपको नियमित रिटर्न फाइलिंग की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ेगी, जो अतिरिक्त compliance का बोझ लाती है।

ITC व्यवसायों को इनपुट (कच्चे माल, सेवाओं आदि) पर भुगतान किए गए कर को आउटपुट (बेचे गए तैयार उत्पाद) पर देय कर के खिलाफ सेट ऑफ करने की अनुमति देता है। यह प्रक्रिया GST व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण लाभ है जो व्यापारियों के कर भुगतान को काफी कम कर सकता है।
ITC की गणना एक सरल सूत्र के अनुसार होती है: आउटपुट टैक्स – इनपुट टैक्स = वास्तविक भुगतान योग्य कर। उदाहरण के लिए, यदि आप 12% GST के साथ 100,000 रुपये का सामान खरीदते हैं, तो आपने 12,000 रुपये कर के रूप में भुगतान किए होंगे। जब आप अपना सामान बेचते हैं, यदि आउटपुट पर GST 15,000 रुपये है, तो आप 12,000 रुपये का ITC दावा कर सकते हैं, जिससे आपका प्रभावी कर भुगतान केवल 3,000 रुपये होगा।
ITC व्यवसायों को इनपुट पर भुगतान किए गए कर को आउटपुट पर देय कर के खिलाफ सेट ऑफ करने की सुविधा प्रदान करता है। यह समायोजन प्रक्रिया व्यापारियों के लिए अत्यंत लाभकारी है क्योंकि यह उनके समग्र कर बोझ को काफी कम करती है।
खरीदारी के समय भुगतान किया गया कर एक प्रकार की अग्रिम कर राशि होती है जिसका उपयोग भविष्य में बिक्री पर लगने वाले कर के विरुद्ध किया जा सकता है। यह व्यवस्था डबल टैक्सेशन को रोकती है और व्यापारिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करती है।
ITC का सही ढंग से दावा करने के लिए खरीद और बिक्री का सटीक रिकॉर्ड बनाए रखना हमेशा महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आपके कर के बोझ को काफी कम किया जा सकता है। बिना उचित दस्तावेजीकरण के ITC का लाभ उठाना असंभव हो जाता है।
व्यापारियों को निम्नलिखित दस्तावेजों का संधारण करना आवश्यक है:
सटीक रिकॉर्ड रखना न केवल ITC के सही दावे के लिए आवश्यक है बल्कि GST ऑडिट के दौरान भी अत्यंत उपयोगी साबित होता है। गलत या अधूरे रिकॉर्ड के कारण ITC का दावा खारिज हो सकता है और अतिरिक्त पेनल्टी भी लग सकती है।

GST रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया में आपके व्यवसाय की प्रकृति और लेनदेन के प्रकार के आधार पर विभिन्न फॉर्म जमा करना शामिल है। प्रत्येक फॉर्म का अपना विशिष्ट उद्देश्य और महत्व होता है।
GSTR-1 जावक आपूर्ति (बिक्री) के लिए मासिक रिटर्न है। इस फॉर्म में आपकी सभी बिक्री का विवरण, ग्राहक की जानकारी, और लागू कर दरों का उल्लेख होता है। यह फॉर्म अगले महीने की 11 तारीख तक दाखिल किया जाना चाहिए।
GSTR-2 आवक आपूर्ति (खरीद) के लिए मासिक रिटर्न था, लेकिन वर्तमान में यह निलंबित है और रीडिजाइन लंबित है। इसमें आपकी सभी खरीदारी और प्राप्त इनपुट टैक्स क्रेडिट का विवरण शामिल होता था।
GSTR-3B करों के मासिक भुगतान के लिए सारांश रिटर्न है। यह सबसे महत्वपूर्ण फॉर्म है जिसमें कुल बिक्री, खरीद, देय कर, और इनपुट टैक्स क्रेडिट का सारांश होता है। इसे अगले महीने की 20 तारीख तक दाखिल करना आवश्यक है।
GSTR-9 वार्षिक रिटर्न है जिसे सालाना दाखिल किया जाना है। इसमें पूरे वित्तीय वर्ष का संपूर्ण विवरण होता है।
GST रिटर्न की समय सीमा का सख्ती से पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। GSTR-3B दाखिल करने की नियत तारीख अगले महीने की 20 तारीख है। उदाहरण के लिए, अप्रैल महीने का GSTR-3B मई की 20 तारीख तक दाखिल करना होगा।
GSTR-1 अगले महीने की 11 तारीख तक दाखिल किया जाना चाहिए। यह तारीख GSTR-3B से पहले आती है, जो व्यावसायिक नियोजन के लिए महत्वपूर्ण है।
GSTR-9 एक वार्षिक रिटर्न है जिसे सालाना दाखिल किया जाना है। यह व्यापक विवरण प्रदान करता है और पूरे वित्तीय वर्ष के लेनदेन को समेटता है।
समय पर रिटर्न दाखिल करना सुनिश्चित करें ताकि दंड और विलंब शुल्क से बचा जा सके। देर से फाइलिंग करने पर भारी जुर्माना लग सकता है, जो व्यवसाय की लागत बढ़ाता है।
कर देनदारियों के लिए समय पर भुगतान करें ताकि दंड और ब्याज से बचा जा सके। विलंबित भुगतान पर अतिरिक्त ब्याज चार्ज होता है, जो मासिक आधार पर बढ़ता रहता है। नियमित निगरानी और समय पर फाइलिंग आपको इन अनावश्यक लागतों से बचा सकती है।

प्रभावी GST अनुपालन की आधारशिला उचित रिकॉर्ड प्रबंधन में निहित है। व्यवसायिक सफलता के लिए सभी बिक्री, खरीद और खर्चों के रिकॉर्ड को व्यवस्थित रूप से बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही GST चालान को भी सुरक्षित रूप से संग्रहीत करना आवश्यक है।
एक व्यापक रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली में निम्नलिखित तत्व शामिल होने चाहिए:
GST अनुपालन में रिटर्न का सही मिलान एक महत्वपूर्ण कदम है। GSTR-1 को GSTR-3B के साथ मिलाना अनिवार्य है। सुनिश्चित करें कि GSTR-1 में रिपोर्ट की गई जानकारी GSTR-3B में जानकारी से मेल खाती है।
यह सत्यापन प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में की जानी चाहिए:
उपलब्ध ITC का ट्रैक रखें और सुनिश्चित करें कि इसका सही ढंग से दावा किया गया है। यह न केवल कर बचत में सहायक है बल्कि अनुपालन को भी मजबूत बनाता है।
कर देनदारियों के लिए समय पर भुगतान करना GST अनुपालन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटक है। यह रणनीति आपको दंड और ब्याज से बचने में मदद करती है, जो व्यावसायिक लागतों को काफी बढ़ा सकते हैं।
समय पर भुगतान की रणनीति में निम्न बातें शामिल हैं:
अनुपालन की लगातार समीक्षा आपके व्यवसाय को महंगी गलतियों और दंड से बचा सकती है। नियमित ऑडिट और समीक्षा प्रक्रिया के माध्यम से संभावित समस्याओं की पहचान करें और उन्हें समय रहते हल करें।

भारत में GST कानून के तहत एक महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि जिन व्यवसायों का वार्षिक टर्नओवर 5 करोड़ रुपये से अधिक होता है, उनके लिए GST ऑडिट अनिवार्य है। यह नियम सभी पंजीकृत व्यवसायों पर लागू होता है, चाहे वे विनिर्माण, व्यापार या सेवा क्षेत्र से जुड़े हों। यह सीमा निर्धारित करने का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बड़े व्यवसाय अपनी GST देनदारियों का सही तरीके से निष्पादन करें।
इस अनिवार्य ऑडिट प्रावधान का पालन न करने पर व्यवसायों को भारी जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। सरकार ने यह नियम इसलिए बनाया है ताकि राजस्व संग्रहण में पारदर्शिता बनी रहे और टैक्स चोरी की संभावनाओं को कम किया जा सके।
GST ऑडिट एक विशिष्ट प्रक्रिया है जो केवल एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) या एक लागत अकाउंटेंट द्वारा ही की जा सकती है। यह व्यावसायिक योग्यता की आवश्यकता इसलिए रखी गई है क्योंकि GST ऑडिट में तकनीकी जानकारी और जटिल वित्तीय विश्लेषण की आवश्यकता होती है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा किया जाने वाला यह ऑडिट एक व्यापक जांच प्रक्रिया है जो व्यवसाय के सभी GST संबंधी लेनदेन, रिकॉर्ड और दस्तावेजों की समीक्षा करती है। इस प्रक्रिया में CA विभिन्न पहलुओं की जांच करता है जैसे:
नियमित GST ऑडिट का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह आपके GST फाइलिंग में विसंगतियों या मुद्दों को जल्दी पहचानने में मदद करता है। ऑडिट यह सुनिश्चित करता है कि व्यवसाय GST अधिनियम के सभी प्रावधानों का अनुपालन करता है और सही रिटर्न दाखिल करता है।
जब कोई CA नियमित ऑडिट करता है, तो वह निम्नलिखित क्षेत्रों में संभावित समस्याओं की पहचान कर सकता है:
नियमित ऑडिट के माध्यम से इन समस्याओं को दंड से पहले ही ठीक किया जा सकता है, जिससे व्यवसायों को भविष्य में होने वाली कानूनी और वित्तीय समस्याओं से बचाया जा सकता है। यह एक प्रवक्रिया है जो न केवल अनुपालन सुनिश्चित करती है बल्कि व्यवसायिक दक्षता भी बढ़ाती है।

GST के दायरे से बाहर रखी गई वस्तुओं में पेट्रोलियम उत्पाद एक महत्वपूर्ण श्रेणी है। इस श्रेणी में पेट्रोलियम कच्चा तेल, हाई स्पीड डीजल, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस और विमानन टरबाइन ईंधन जैसे उत्पाद शामिल हैं। ये सभी उत्पाद GST के दायरे में नहीं आते हैं और इनके कराधान की व्यवस्था पुराने नियमों के अनुसार ही की जाती है।
पेट्रोलियम उत्पादों को GST से बाहर रखने का मुख्य कारण राज्य सरकारों की राजस्व चिंताएं हैं। ये उत्पाद राज्य सरकारों के लिए एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत हैं और इन्हें GST में शामिल करने से राज्यों की आय में काफी कमी आ सकती है।
वर्तमान में ये उत्पाद राज्य सरकारों के VAT और केंद्र सरकार के उत्पाद शुल्क के दायरे में आते हैं। यही कारण है कि विभिन्न राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अंतर देखने को मिलता है।
मानव उपभोग के लिए शराब भी GST के दायरे से पूर्णतः बाहर रखी गई है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो पूरी तरह से राज्य सरकारों के नियंत्रण और कराधान के अधिकार क्षेत्र में आता है। इस निर्णय के पीछे संविधान की धारा 8 की अनुसूची VII की प्रविष्टि 51 है, जो राज्य सरकारों को अल्कोहल पर कर लगाने का अधिकार देती है।
राज्य सरकारों के लिए अल्कोहल एक बहुत बड़ा राजस्व स्रोत है। विभिन्न राज्यों में अल्कोहल की नीति और कराधान की दरें अलग-अलग हैं। कुछ राज्यों में यह पूर्णतः प्रतिबंधित है, जबकि अन्य राज्यों में इससे काफी आय होती है।
यह व्यवस्था अल्कोहल की विनिर्माण, वितरण और बिक्री की पूरी श्रृंखला को GST के दायरे से बाहर रखती है।
इन वस्तुओं को GST से बाहर रखने का मतलब यह है कि राज्य सरकारों को इन पर कर लगाने की पूरी शक्ति प्राप्त है। हालांकि, यह अधिकार आयात और अंतर-राज्यीय व्यापार के मामलों में सीमित है।
राज्यों के पास इन वस्तुओं पर अपनी नीति बनाने, कर की दरें तय करने और राजस्व संग्रह की पूरी स्वतंत्रता है। यही कारण है कि विभिन्न राज्यों में इन वस्तुओं की कीमतों में काफी अंतर देखने को मिलता है।
आयात के मामले में, केंद्र सरकार का अधिकार क्षेत्र बना रहता है, लेकिन घरेलू उत्पादन और वितरण पर राज्यों का पूरा नियंत्रण है। यह व्यवस्था संघीय ढांचे के अनुकूल है और राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता को बनाए रखती है।

ई-कॉमर्स क्षेत्र में GST के नए नियम व्यवसायों के लिए निगरानी के महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेचने वाले विक्रेताओं और ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स दोनों को इन बदलावों का सामना करना पड़ता है। डिजिटल कॉमर्स की बढ़ती लोकप्रियता के साथ, सरकार नियमित रूप से ई-कॉमर्स पर GST नियमों में संशोधन करती रहती है।
ये परिवर्तन ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर टैक्स संग्रह, रिपोर्टिंग आवश्यकताओं और अनुपालन प्रक्रियाओं को प्रभावित करते हैं। ई-कॉमर्स व्यवसायियों को इन नियमों का पालन करना आवश्यक है ताकि वे किसी भी कानूनी जटिलता से बच सकें।
रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म में आगामी संशोधन व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। इस प्रणाली के तहत, सेवा प्राप्त करने वाले व्यक्ति को GST का भुगतान करना पड़ता है, न कि सेवा प्रदान करने वाले को। यह मैकेनिज्म विशेष रूप से कुछ श्रेणियों की सेवाओं और लेनदेन पर लागू होता है।
सरकार समय-समय पर इस प्रणाली में बदलाव करती रहती है, जो व्यवसायिक संचालन को प्रभावित करता है। कंपनियों को इन संशोधनों के बारे में अपडेट रहना चाहिए क्योंकि ये उनकी कैश फ्लो और टैक्स देनदारी को सीधे प्रभावित करते हैं।
GST विनियम और प्रावधान अक्सर बदलते रहते हैं, और कर नियोजन के लिए अद्यतित रहना महत्वपूर्ण है। व्यवसायियों को GST से संबंधित सभी नवीन विकासों से अवगत रहना आवश्यक है। GST के नए नियम और प्रावधानों पर अपडेट के लिए GST परिषद और GST पोर्टल से नियमित रूप से सूचनाएं जांचें।
GST परिषद की बैठकों में लिए गए निर्णय सीधे तौर पर व्यवसायिक संचालन को प्रभावित करते हैं। इसलिए, कारोबारियों को आधिकारिक वेबसाइटों, न्यूजलेटर्स और सरकारी घोषणाओं का नियमित अनुसरण करना चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि वे नवीनतम GST दरों, छूट और अनुपालन आवश्यकताओं के बारे में हमेशा जानकारी रखते हैं।

GST एक जटिल लेकिन आवश्यक कर प्रणाली है जो भारतीय व्यापार की नींव बन चुकी है। इसकी संरचना, दरों, पंजीकरण आवश्यकताओं, ITC के फायदे, और रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया को समझना हर व्यापारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सही रिकॉर्ड मेंटेन करना, समय पर रिटर्न फाइल करना, और GST ऑडिट आवश्यकताओं का पालन करना आपके व्यापार को जुर्माने से बचा सकता है।
GST के नियमित अपडेट और बदलावों से अवगत रहना आपकी व्यापारिक सफलता के लिए आवश्यक है। GST Council की अधिसूचनाओं पर नजर रखें और जरूरत पड़ने पर कर विशेषज्ञों की सलाह लें। याद रखें कि GST केवल एक कर नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा साधन है जो सही तरीके से उपयोग करने पर आपके व्यापार की लागत कम कर सकता है और अनुपालन सुनिश्चित कर सकता है।
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