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बिहार वालों के लिए खुशखबरी! छठ पूजा 2025 की डेट आ गई – तैयारी शुरू करें अभी से

October 24, 2025 | by support@rabgcontent.com

बिहार वालों के लिए खुशखबरी! छठ पूजा 2025 की डेट आ गई – तैयारी शुरू करें अभी से

बिहार वालों के लिए खुशखबरी! छठ पूजा 2025 की तारीख आ गई है और आपकी तैयारी का समय शुरू हो गया है। यदि आप बिहारी हैं या छठ महापर्व मनाते हैं, तो इस साल छठ पूजा 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक मनाई जाएगी। आपको अभी से ही अपनी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए क्योंकि छठ व्रत 2025 में कई सामान और व्यवस्था की जरूरत होगी।

आज हम आपको छठ पूजा 2025 की संपूर्ण तिथियां बताएंगे जिसमें नहाय खाय से लेकर उषा अर्घ्य तक सभी दिनों की जानकारी होगी। आप जानेंगे कि छठ पूजा की विधि क्या है, कैसे करनी है संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य की तैयारी। साथ ही हम बताएंगे छठ पूजा तैयारी के लिए आवश्यक साधन और सामान की पूरी लिस्ट, ताकि आपकी छठ व्रत 2025 की तैयारी बिल्कुल परफेक्ट हो जाए।

छठ पूजा 2025 की संपूर्ण तिथियां और समय

छठ पूजा 2025 की संपूर्ण तिथियां और समय

चार दिनी त्योहार का कैलेंडर – 25 से 28 अक्टूबर

आपको यह जानकर खुशी होगी कि छठ पूजा 2025 का चार दिवसीय उत्सव 25 अक्टूबर (शनिवार) से 28 अक्टूबर (मंगलवार) तक मनाया जाएगा। यह पवित्र त्योहार आपके लिए एक संपूर्ण कैलेंडर प्रस्तुत करता है जिसमें प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व है।

छठ पूजा 2025 की विस्तृत तिथि तालिका:

दिनतारीखदिवसअनुष्ठान
पहला दिन25 अक्टूबरशनिवारनहाय खाय
दूसरा दिन26 अक्टूबररविवारखरना
तीसरा दिन27 अक्टूबरसोमवारसंध्या अर्घ्य
चौथा दिन28 अक्टूबरमंगलवारउषा अर्घ्य

प्रतिदिन सूर्योदय और सूर्यास्त का सही समय

आपकी छठ पूजा की तैयारी के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त का सटीक समय अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ आपको प्रत्येक दिन का विस्तृत समय प्रदान किया जा रहा है:

25 अक्टूबर (नहाय खाय):

  • सूर्योदय: सुबह 6:28 बजे
  • सूर्यास्त: शाम 5:42 बजे

26 अक्टूबर (खरना):

  • सूर्योदय: सुबह 6:29 बजे
  • सूर्यास्त: शाम 5:41 बजे

27 अक्टूबर (संध्या अर्घ्य):

  • सूर्यास्त अर्घ्य का समय: शाम 5:40 बजे

28 अक्टूबर (उषा अर्घ्य):

  • उगते सूर्य को अर्घ्य: सुबह 6:30 बजे

छठ पूजा के वैकल्पिक नाम और महत्व

आपको यह जानना चाहिए कि छठ पूजा को कई नामों से पुकारा जाता है। यह त्योहार प्रतिहार, डाला छठ, छठी और सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। प्रत्येक नाम इस पवित्र व्रत के विभिन्न आयामों को दर्शाता है।

यह व्रत मुख्य रूप से आपके और अन्य महिलाओं द्वारा अपने बेटों की भलाई और परिवार की खुशी के लिए रखा जाता है। यह प्रकृति के प्रति कृतज्ञता, सूर्य की जीवनदायी ऊर्जा और जीवन, स्वास्थ्य व समृद्धि के चक्र का प्रतीक है। यह त्योहार सूर्य को जीवन और ऊर्जा के स्रोत के रूप में सम्मानित करता है।

नहाय खाय – छठ पूजा का पहला दिन (25 अक्टूबर)

नहाय खाय - छठ पूजा का पहला दिन (25 अक्टूबर)

पवित्र नदी में स्नान की परंपरा

छठ पूजा 2025 की शुरुआत नहाय खाय से होती है, जो 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस पहले दिन आपको पारंपरिक रूप से पवित्र नदी में स्नान करना होता है। आप गंगा, सरयू, कोसी या अन्य पवित्र नदियों में जाकर डुबकी लगाते हैं। यह स्नान केवल सफाई का साधन नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धता प्राप्त करने का पवित्र कृत्य है।

यदि आपके पास नदी तक पहुंच नहीं है, तो आप पवित्र तालाबों या कुंडों में भी स्नान कर सकते हैं। मुख्य बात यह है कि आप पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भावना के साथ यह स्नान करें। इस स्नान से आपका शरीर और मन दोनों पवित्र हो जाते हैं, जो आगे आने वाले व्रत की कठोर साधना के लिए आवश्यक है।

सात्विक भोजन के नियम और महत्व

पवित्र स्नान के बाद, आपको सात्विक और शुद्ध भोजन करना होता है। यह भोजन विशेष नियमों के अनुसार तैयार किया जाता है। आपको इस दिन बिना प्याज और लहसुन के भोजन करना चाहिए। यह नियम छठ व्रत 2025 की पवित्रता को बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आपका भोजन पूर्ण रूप से शुद्ध और सादा होना चाहिए। चावल, दाल, सब्जियां और रोटी जैसे सरल खाद्य पदार्थों का सेवन करें। इस दिन का भोजन व्रत की शुरुआत का प्रतीक है और आपकी आध्यात्मिक यात्रा का पहला कदम है। यह सात्विक आहार आपके मन और शरीर को आगे की कठोर तपस्या के लिए तैयार करता है।

व्रत की शुरुआत के लिए आवश्यक तैयारी

नहाय खाय 2025 के दिन आपको छठ महापर्व की संपूर्ण तैयारी शुरू करनी चाहिए। इस दिन से आपका मानसिक और शारीरिक संयम शुरू हो जाता है। आपको अपने घर की सफाई करनी चाहिए और पूजा के लिए आवश्यक सामग्री एकत्रित करनी चाहिए।

इस दिन से आपको अपनी दिनचर्या में अनुशासन लाना होगा। सुबह जल्दी उठना, नियमित स्नान करना और सात्विक जीवनशैली अपनाना आवश्यक है। आपकी यह तैयारी आगे आने वाले खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य के लिए मानसिक और शारीरिक शक्ति प्रदान करती है।

खरना – दूसरा दिन की कठोर उपवास (26 अक्टूबर)

खरना - दूसरा दिन की कठोर उपवास (26 अक्टूबर)

निर्जला व्रत के नियम और समय

आपके छठ व्रत 2025 की यात्रा में दूसरा दिन सबसे चुनौतीपूर्ण माना जाता है। खरना के दिन 26 अक्टूबर को आपको सूर्योदय से सूर्यास्त तक कठोर निर्जला व्रत रखना होगा। इस दिन सुबह 6:29 बजे सूर्योदय से लेकर शाम 5:41 बजे सूर्यास्त तक आप बिना पानी के व्रत रखेंगे।

यह निर्जला व्रत छठ महापर्व 2025 की सबसे कठिन परीक्षा है, जिसमें आपको पूरे दिन न तो भोजन करना है और न ही एक बूंद पानी पीना है। इस दौरान आपकी श्रद्धा और संकल्प की परीक्षा होती है। व्रत के इन कड़े नियमों का पालन करते समय आपको पूर्ण धैर्य और मानसिक बल की आवश्यकता होगी।

खीर और रोटी से व्रत खोलने की विधि

सूर्यास्त के पश्चात आपका कठिन व्रत समाप्त होता है। इसके बाद आप प्रतीकात्मक रूप से अपना व्रत तोड़ते हैं। व्रत खोलने के लिए आपको विशेष रूप से गुड़ की खीर तैयार करनी होगी, जो चावल से बनाई जाती है। यह खीर छठ व्रत नियम के अनुसार परंपरागत विधि से तैयार करनी चाहिए।

आपको इस खीर के साथ रोटी और फल भी तैयार रखने होंगे। ये सभी व्यंजन प्रसाद के रूप में काम आते हैं और व्रत तोड़ने के लिए उपयोग किए जाते हैं। खीर बनाते समय आपको पूर्ण शुद्धता और भक्ति भावना बनाए रखनी चाहिए।

सूर्य देव को प्रसाद अर्पण करने की परंपरा

व्रत तोड़ने से पहले आपको सूर्य देव को प्रसाद चढ़ाना आवश्यक है। यह छठ पूजा की विधि का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आप तैयार की गई गुड़ की खीर, रोटी और फल को पहले सूर्य देव को समर्पित करेंगे।

इस प्रसाद अर्पण के बाद ही आप अपना व्रत तोड़ सकते हैं। यह परंपरा छठ पूजा तैयारी का अभिन्न अंग है और इससे आपकी श्रद्धा और समर्पण का प्रदर्शन होता है। प्रसाद चढ़ाने के बाद आप इसी खीर, रोटी और फल को ग्रहण करके अपना कठिन निर्जला व्रत समाप्त करते हैं।

संध्या अर्घ्य – तीसरे दिन की मुख्य पूजा (27 अक्टूबर)

संध्या अर्घ्य - तीसरे दिन की मुख्य पूजा (27 अक्टूबर)

36 घंटे के निर्जला व्रत का महत्व

छठ पूजा के तीसरे दिन आपको सबसे कठोर परीक्षा का सामना करना पड़ता है। यह दिन बिना पानी के कठोर पूरे दिन के उपवास की मांग करता है, जो लगभग 36 घंटे के निर्जला व्रत का हिस्सा है। इस व्रत की शुरुआत खरना के दिन भोजन के बाद होती है और संध्या अर्घ्य तक चलती रहती है।

आपको इस दौरान न केवल भोजन से बल्कि पानी से भी पूर्ण परहेज करना होता है। भक्त 36 घंटे का सख्त उपवास करते हैं, कुछ तो पानी से भी परहेज करते हैं। यह निर्जला व्रत आपकी शारीरिक और मानसिक दृढ़ता को परखता है तथा सूर्य देव के प्रति आपकी अटूट श्रद्धा का प्रमाण है।

शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की विधि

संध्या अर्घ्य की विधि का विशिष्ट समय शाम 5:40 बजे है। इस समय आपको पानी में कमर तक खड़े होकर डूबते सूर्य को प्रार्थना और अर्घ्य देना होता है। आपकी बांस की टोकरियां (सूप) पारंपरिक प्रसाद जैसे ठेकुआ, फल और गन्ने से भरी होती हैं।

अर्घ्य देते समय आपको सूर्य की ओर मुंह करके खड़ा होना चाहिए। अपनी दोनों हथेलियों से जल लेकर सूर्य को अर्पित करें और मन ही मन अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक सूर्य पूर्ण रूप से अस्त नहीं हो जाता।

नदी किनारे परिवारिक पूजा की परंपरा

केंद्रीय अनुष्ठान शाम को किया जाता है, जहां पूरा परिवार नदी के किनारे या जल निकाय पर इकट्ठा होकर डूबते सूर्य को संध्या अर्घ्य (अर्पण) प्रदान करता है। यह छठ पूजा की सबसे महत्वपूर्ण और भावनात्मक रस्म है।

भक्त नदी के किनारे, झीलों या कृत्रिम जल कुंडों पर इकट्ठा होते हैं। परिवार नदी के किनारे या जल निकाय पर इकट्ठा होकर शाम का अर्घ्य प्रदान करता है। इस दौरान पूरा परिवार एक साथ मिलकर पूजा करता है, जो पारिवारिक एकजुटता और सामूहिकता की भावना को दर्शाता है।

आपके आसपास सैकड़ों परिवार इसी तरह अपने व्रत का पालन करते हुए दिखाई देते हैं, जो इस पर्व की सामुदायिक भावना को प्रदर्शित करता है।

उषा अर्घ्य – चौथे दिन व्रत समापन (28 अक्टूबर)

उषा अर्घ्य - चौथे दिन व्रत समापन (28 अक्टूबर)

प्रातःकाल उगते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व

चौथे दिन, 28 अक्टूबर 2025 को, आप सूर्योदय से पहले ही जल निकाय पर वापस लौट आएंगे। यह छठ व्रत 2025 का सबसे महत्वपूर्ण क्षण है जब आप उगते सूर्य को सुबह का अर्घ्य देंगे। इस उषा अर्घ्य के माध्यम से आप सूर्य देव को अपनी श्रद्धा और कृतज्ञता अर्पित करते हैं।

भोर से पहले ही आपको नदी, तालाब या जल कुंड के किनारे पहुंचना होगा। सुबह की यह पेशकश छठ महापर्व 2025 की अंतिम और सबसे पवित्र रस्म है। जैसे ही सूर्य की पहली किरण क्षितिज पर दिखाई देती है, आप अपने हाथों में जल लेकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। यह क्रिया न केवल आपके व्रत की पूर्णता का प्रतीक है, बल्कि नई शुरुआत और आशीर्वाद का भी संकेत है।

परना विधि और व्रत तोड़ने के नियम

उषा अर्घ्य पूरा होने के बाद आपका लगभग 36 घंटे का कठोर व्रत समाप्त होता है। इस अनुष्ठान को परना के नाम से जाना जाता है, जो छठ व्रत नियम के अनुसार अत्यंत महत्वपूर्ण है। आपको सबसे पहले प्रसाद और पानी के साथ अपना व्रत तोड़ना होगा।

परना की विधि में आप पहले थोड़ा सा जल पिएंगे, फिर प्रसाद का सेवन करेंगे। यह व्रत के सफल समापन का प्रतीक है और आपकी कठिन तपस्या का फल माना जाता है। इस समय आपको धैर्य रखना होगा और एकदम से अधिक भोजन नहीं करना चाहिए। पहले हल्का प्रसाद लें, फिर धीरे-धीरे सामान्य आहार पर वापस लौटें।

प्रसाद वितरण और त्योहार की समाप्ति

अनुष्ठान पूरा होने के बाद आप अपना व्रत तोड़ते हैं और परिवार व समुदाय के साथ प्रसाद बांटते हैं। यह प्रसाद वितरण कृतज्ञता और शांति के साथ समापन का प्रतीक है। आप सभी रिश्तेदारों, मित्रों और पड़ोसियों को प्रसाद देते हैं, जिससे छठ पूजा की तैयारी का समापन होता है।

इस समय आपके घर में खुशी का माहौल होता है। सभी लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और छठ माता के आशीर्वाद की कामना करते हैं। प्रसाद में ठेकुआ, चावल का लड्डू और फल शामिल होते हैं, जिन्हें आप सभी के साथ प्रेम से बांटते हैं। यही वह क्षण है जब छठ महापर्व 2025 अपने चरम पर पहुंचकर एक संपूर्ण और आनंदमय समापन पाता है।

छठ पूजा की पारंपरिक रीति-रिवाज और साधन

छठ पूजा की पारंपरिक रीति-रिवाज और साधन

ठेकुआ और अन्य पारंपरिक प्रसाद की तैयारी

अब जब आपने छठ पूजा की तिथियों को समझ लिया है, तो आइए जानें कि आपको इस छठ व्रत 2025 के लिए पारंपरिक प्रसाद की तैयारी कैसे करनी होगी। छठ महापर्व 2025 का सबसे महत्वपूर्ण प्रसाद ठेकुआ है, जो गेहूं के आटे, गुड़ और घी से बना होता है। यह एक पारंपरिक मीठा प्रसाद है जिसे छठी मैया को अर्पित करने के लिए विशेष रूप से तैयार किया जाता है।

जब आप ठेकुआ बनाएंगे, तो सुनिश्चित करें कि आप केवल शुद्ध सामग्री का उपयोग करें। गेहूं का आटा साफ और महीन होना चाहिए, गुड़ पुराना और मिठास से भरपूर होना चाहिए, और घी देसी एवं शुद्ध होना चाहिए। इस पारंपरिक मिठाई को बनाते समय पूर्ण श्रद्धा और पवित्रता बनाए रखना आवश्यक है।

बांस की सूप और पूजा सामग्री की आवश्यकता

छठ पूजा तैयारी के लिए आपको बांस की टोकरियां (सूप) की आवश्यकता होगी। ये विशेष प्रकार की टोकरियां पारंपरिक रूप से ठेकुआ, फल और गन्ने जैसे पारंपरिक प्रसाद से भरी जाती हैं। बांस की ये सूप छठ व्रत नियम के अनुसार अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:

  • बांस की बनी हुई सूप (टोकरी)
  • ठेकुआ और अन्य पारंपरिक मिठाइयां
  • ताजे फल (केला, नारियल, सिंघाड़ा)
  • गन्ने के डंडे
  • दीप और अगरबत्ती

इन सभी सामग्रियों को व्यवस्थित रूप से सूप में सजाना होता है।

पारंपरिक वेशभूषा और सजावट के नियम

छठ पूजा विधि के दौरान पारंपरिक वेशभूषा का विशेष महत्व है। भक्त पारंपरिक वेशभूषा में तैयार होते हैं। महिलाएं अक्सर जीवंत साड़ियों में होती हैं, जबकि पुरुष धोती-कुर्ता में होते हैं।

छठ पूजा साधन के रूप में उपयोग होने वाली पारंपरिक वेशभूषा में:

  • महिलाओं के लिए: रंग-बिरंगी साड़ी, पारंपरिक आभूषण
  • पुरुषों के लिए: सफेद या पीली धोती-कुर्ता
  • सभी के लिए: तिलक और पवित्र चिह्न

यह पारंपरिक पहनावा न केवल श्रद्धा प्रकट करता है बल्कि छठी मैया के प्रति आपकी भक्ति को भी दर्शाता है। बिहार छठ पूजा की यही परंपरा सदियों से चली आ रही है।

छठ पूजा का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व

छठ पूजा का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व

सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का महत्व

छठ पूजा का आध्यात्मिक आधार भगवान सूर्य और छठी मैया के प्रति आपकी अटूट श्रद्धा पर टिका है। यह महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार विशेष रूप से सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है, जो आपके जीवन में अत्यधिक महत्व रखता है। छठी मैया को सूर्य की बहन के रूप में पूजा जाता है, और मान्यता है कि वे अपने भक्तों को स्वास्थ्य, समृद्धि और उनके बच्चों की सुरक्षा का आशीर्वाद देती हैं।

जब आप छठ व्रत 2025 रखते हैं, तो आप न केवल सूर्य देव की शक्ति और प्रकाश का सम्मान करते हैं, बल्कि छठी मैया की कृपा भी प्राप्त करते हैं। यह पूजा आपके परिवार की मंगल कामना और संतान की दीर्घायु के लिए की जाती है।

बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में त्योहार की लोकप्रियता

अब जब हमने छठ पूजा के आध्यात्मिक महत्व को समझ लिया है, तो इसकी क्षेत्रीय लोकप्रियता पर नजर डालते हैं। छठ पूजा बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में सबसे प्रमुख त्योहार है। यदि आप इन क्षेत्रों से संबंध रखते हैं, तो आप जानते होंगे कि छठ महापर्व 2025 किस प्रकार से पूरे समुदाय को एकजुट करता है।

इन राज्यों में आपको छठ पूजा की तैयारी महीनों पहले से दिखाई देगी। बिहार में विशेष रूप से यह त्योहार सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, जहां आप देखेंगे कि हर घर में छठ व्रत नियमों का कड़ाई से पालन होता है।

समुदायिक एकता और पर्यावरण चेतना का संदेश

इस महत्वपूर्ण जानकारी के साथ, अब हम देखेंगे कि छठ पूजा आपके समुदाय में कैसे एकता और पर्यावरण चेतना का संदेश फैलाता है। यह त्योहार अनुशासन, पर्यावरणीय चेतना और आध्यात्मिक नवीनीकरण को बढ़ावा देता है।

जब आप छठ पूजा में भाग लेते हैं, तो आप देखते हैं कि समुदाय का पहलू कितना महत्वपूर्ण है। विविध पृष्ठभूमि के लोग इसमें भाग लेते हैं, जो सामाजिक सद्भाव और सांस्कृतिक एकता को बढ़ाता है। यह त्योहार न केवल धन्यवाद का उत्सव है बल्कि यह समुदायों को सामूहिक प्रार्थना और उत्सव में एक साथ लाता है।

आपके लिए छठ पूजा का यह सामुदायिक पहलू विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जात-पात, धन-दौलत के भेदभाव से ऊपर उठकर सभी को समान मानता है।

conclusion

छठ पूजा 2025 की तिथियां अब स्पष्ट हो गई हैं – 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक का यह पावन त्योहार आपके लिए आध्यात्मिक शुद्धता और सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने का सुनहरा अवसर है। नहाय खाय से शुरू होकर उषा अर्घ्य तक के चार दिनों की यह यात्रा न केवल आपकी आस्था को मजबूत बनाती है, बल्कि पारिवारिक एकता और सामुदायिक सौहार्द्र को भी बढ़ावा देती है।

अभी से तैयारी शुरू करके आप इस महान व्रत को पूर्ण श्रद्धा और विधि-विधान के साथ मना सकते हैं। सूर्य देव और छठी माई की कृपा से आपके घर में खुशहाली, स्वास्थ्य और समृद्धि आए। आवश्यक सामग्री जुटाना, व्रत की तैयारी करना और पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करना – यह सब कुछ आपके छठ पूजा 2025 को यादगार और फलदायी बनाने में मदद करेगा।

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